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अभय का विकाका भय आध्यात्मिक विकास में बहुत बड़ी बाधा है। अध्यात्म स्वतन्न चेतना की अवस्था है और भय उस चेतना को अवरुद्ध करता है। साधना और अभय एक तराजू के दो पलड़े हैं। अभय के विकास के लिए यह प्रायोगिक पद्धति है
१. उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करें।-१० मिनिट
२. नासाग्र पर अनिमेष प्रेक्षा करें।-३ मिनिट। ३. कायोत्सर्ग की मुद्रा में लेटकर शरीर को पूर्ण शिथिल कर दें।
४. शिथिलीकरण की मुद्रा में पांच मिनिट रहने के पश्चात् 'मैं भय से मुक्त हो रहा हूं' यह सुझाव दें। 'मैं उठूगा तब भय से मुक्त होकर उठूगा' यह सुझाव १५ मिनिट तक दें।
यह प्रयोग प्रातःकाल करें। कम से कम एक सप्ताह और अधिक से अधिक तीन महीने तक करें।
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२४ नवम्बर
२०००
Raranews
(भीतर की ओर)
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