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काठमा
इन्द्रिय-विजय-(१) साधना का क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र या राजनीति का क्षेत्र–इन्द्रिय-विजय सर्वन अपेक्षित है, साधक के लिए अधिक। एक सीमा तक सबके लिए। इसका अभ्यासक्रम
१. पद्मासन की मुद्रा में बैठे। २. पृष्ठरज्जु को सीधा रखें। ३. दोनों नथुनों से धीरे-धीरे पूरक करें।
४. पूरक के पश्चात् दाएं अंगूठे से दाएं नथुने को बंद कर, बाएं नथुने से वेग के साथ रेचन करें।
५. फिर दोनों नथुनों से पूरक करें।
६. पूरक के पश्चात् बाएं नथुने को बंद कर दाएं नथुने से वेग के साथ रेचन करें।
प्रारम्भ में पांच आवृत्तियां करें, फिर अभ्यास बढ़ाते हुए सोलह आवृत्तियां करें।
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१९ नवम्बर
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(भीतर की ओर
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जान
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