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ब्रह्मचर्य-(४) १. पद्मासन या वज्रासन की मुद्रा में बैठे।
२. प्राणकेन्द्र पर अनिमेष प्रेक्षा का प्रयोग करें। श्वास संयम करें।
३. फिर श्वास का रेचन और श्वास-संयम करें।
४. दर्शनकेन्द्र पर अनिमेष प्रेक्षा कर पूरक और श्वास-संयम करें।
१५ से ३० सैकण्ड तक इसका अभ्यास करें। फिर रेचन और श्वास-संयम करें। यह पूरी एक आवृत्ति हुई।
इसे पांच बार करें और अभ्यास करते-करते बीस तक पहुंच जाए।
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१७ नवम्बर
२०००
भीतर की ओर)
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