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संचालक कौन? हमारा व्यवहार कौन चला रहा है? इस पर गंभीर चिन्तन होना चाहिए। यदि कोई बाहरी शक्ति चला रही है तो उससे सम्पर्क साधे और अनुरोध करें कि वह व्यवहार को आत्मोन्मुखी बनाएं।
यदि कोई आंतरिक शक्ति व्यवहार का संचालन कर रही है तो उस पर ध्यान केन्द्रित करें, उसका परिष्कार करें। भीतर के परिष्कार का प्रतिबिम्ब है---व्यवहार का परिष्कार। इसके लिए आवश्यक है-आत्मनिरीक्षण।
MARATHIWHAPHE
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२३ सितम्बर
२०००
AITHIMIRMIR
Aas
(भीतर की ओर)
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