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दीर्घश्वास-(a) दीर्घश्वास का प्रयोग भतु परिवर्तन के साथ विभिन्न रूपों में किया जाना चाहिए।
श्वास की सामान्य विधि यह है कि दिन में बाएं नथुने से श्वास अधिक लिया जाए और रानि में दाएं नथुने से।
यदि गर्मी का मौसम हो तो केवल बाएं नथुने से श्वास लिया जाए और उसके साथ चन्द्रमा का ध्यान किया जाए।
यदि सर्दी का मौसम हो तो केवल दाएं नथुने से श्वास लिया जाए और उसके साथ सूर्य का ध्यान किया जाए।
बाएं स्वर से लिया जाने वाला श्वास शीतल और दाएं स्वर से लिया जाने वाला श्वास गर्म होता है। इसलिए सर्दी और गर्मी को सहन करने की शक्ति का विकास करने के लिए यह प्रयोग बहुत उपयोगी है।
१० अक्टूबर
२०००
। भीतर की ओर
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