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फ्राफ्र
तळवटल
तन्मूर्ति ध्यान
यदि तुम ज्ञान का विकास करना चाहते हो तो महावीर के सर्वज्ञ रूप का ध्यान करो ।
यदि तुम शक्ति का विकास करना चाहते हो तो बाहुबली का ध्यान करो ।
यदि तुम लब्धि का विकास करना चाहते हो तो गौतम का ध्यान करो।
यदि वीतरागता का विकास करना चाहते हो तो वीतराग का ध्यान करो।
तदाकार साधना में मन को इतना एकाग्र कर लें कि मन के एक बिंदु पर इष्ट का साक्षात्कार हो जाए । मन में वह सामर्थ्य है कि वह शरीर, रक्त, प्राण, बुद्धि और प्रज्ञा शक्तियों को ठीक उसी तरह बना देता है जिस प्रकार का इष्ट होता है ।
०५ नवम्बर
२०००
भीतर की ओर
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