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चैतन्यकेन्द्र : 'अहं' का न्यास प्रत्येक चैतन्यकेन्द्र पर इष्ट मन 'मह' आदि का तीन-तीन बार जप करें। उसके साथ तादात्म्य का अनुभव करें।
यह क्रम शक्तिकेन्द्र से ज्ञानकेन्द्र तक करें। पुनः ज्ञानकेन्द्र से शक्तिकेन्द्र तक। यह एक आवृत्ति है। ऐसी तीन आवृत्तियां अवश्य करें। जैसे-जैसे अभ्यास परिपक्व होगा, वैसे-वैसे आवृत्ति बढ़ाएं।
न्यास का अभ्यास इष्ट मन की सिद्धि के लिए बहुत आवश्यक है।
१४ अक्टूबर
२०००
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