Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 318
________________ हल्ला सुप्त मन को जागृत कवना-(१) मन की अनेक अवस्थाए हैं। स्थूल मन या चेतन मन प्रायः सक्रिय रहता है। साधारण मनुष्य उसी का प्रयोग करते हैं। साधक व्यक्ति स्थूल मन से परे सूक्ष्म मन अथवा अन्तर्मन को सक्रिय बनाकर सूक्ष्म सत्य को जानने की दिशा में प्रस्थान करता है। 'अ' का उच्चारण करते समय स्वास्थ्यकेन्द्र पर लाल वर्ण का चिंतन करें। '3' का उच्चारण करते समय आनन्दकेन्द्र पर नीले वर्ण का चिंतन करें। _ 'म्' का उच्चारण करते समय दर्शनकेन्द्र पर श्वेत वर्ण का चितन करें। प्रारम्भ में पांच मिनिट, प्रतिसप्ताह दो-दो मिनिट बढ़ाते-बढ़ाते पंद्रह मिनिट तक 'ॐ' का जप करें। इससे सुषुप्त मन, अन्तर्मन जागृत होते हैं। २७ अक्टूबर २००० भीतन की ओर भी o Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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