________________
एकाग्रता - [१]
जयमंत्र और श्वास का संबंध जानना जरूरी है । यदि श्वास के साथ जप का प्रयोग किया जाए तो एकाग्रता बहुत अच्छी होती है।
श्वास के तीन रूप बनते हैं
१. पूरक के साथ जप शुरू करें और अन्तःकुंभक जितना कर सकें, उतने समय तक करें।
२. पूरक के साथ जप शुरू करें और रेचन के समय तक करें।
३. रेचन और बाह्यकुंभक के साथ जपमंत्र का प्रयोग करें।
एक श्वास में २१ बार ॐ का जप करें। उक्त तीनों प्रयोगों में से किसी भी प्रयोग के साथ यह अभ्यास किया जा सकता है।
०१ नवम्बर
२०००
भीतर की ओर
३२२
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org