________________
-
-
-
ठळक
निर्विचार ध्यान ध्यान के दो प्रकार हैं-सविचार अथवा सविकल्प, निर्विचार अथवा निर्विकल्प। निर्विचार ध्यान की अभ्यास पद्धति
१. श्वास-संयम (कुंभक) करें।
२. जीभ को जबड़े के नीचे, दांतों के साथ गहरा दबा दें। जीभ स्थिर होती है तो विचार और चिन्तन अपने आप स्थिर हो जाता है।
३. जीभ को तालु की ओर उलट लें। जीभ के उलटते ही विचारों का प्रवाह एकदम रुक जाएगा।
४. जो विचार आ रहा है उसे ज्ञाता-द्रष्टा भाव से देखते रहें। देखते-देखते निर्विचार की स्थिति का निर्माण हो जाएगा।
२३ अक्टूबर
२०००
(भीतर की ओर
-
A
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org