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श्वास-संयम-[a) सुखासन, वज्रासन अथवा पद्मासन की मुद्रा। कायोत्सर्ग, पृष्ठरज्जु बिल्कुल सीधा। श्वास का रेचन करें। रेचन के बाद श्वास-संयम (बाव कुम्भक) करें। इस अवस्था में एकाग्रता सघन हो जाती है।
यह प्रयोग दीर्घश्वास प्रेक्षा का अभ्यास परिपक्व होने के बाद किया जाना चाहिए। इसमें श्वास संयम की मात्रा का उत्तरोत्तर विकास करना आवश्यक है। प्रारम्भ में पांच सैकण्ड, कुछ समय बाद दस सैकण्ड और अंत में एक मिनिट तक हो जाए तो यह एकाग्रता की साधना का बहुत बड़ा प्रयोग हो सकता है।
०६ अक्टूबर
२०००
(भीतर की ओर
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