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श्वास-संयम-[१) श्वास का पहला प्रयोग—इसमें पूरण, रेचन और श्वास-संयम (कुंभक) ये तीनों किए जाते हैं।
श्वास का दूसरा प्रयोग—इसमें पूरण और रेचन का अभ्यास किया जाता है।
श्वास का तीसरा प्रयोग-इसमें पूरण और रेचन पर ध्यान दिए बिना केवल श्वास-संयम का अभ्यास किया जाता है।
केवल श्वास-संयम का प्रयोग आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
०५ अक्टूबर
२०००
(भीतर की ओर)
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