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नियन्त्रण स्वतःचालित क्रिया पर
क्रिया के दो प्रकार हैं१. प्रयोगजनित-इच्छाचालित (Voluntary) २. विस्मसाजनित-स्वतःचालित (Involuntary)
साधना करने वाला प्रारम्भ में इच्छाचालित क्रिया पर नियन्त्रण करता है। स्वतःचालित क्रिया पर उसका नियन्त्रण नहीं होता। साधना की उच्च भूमिका वह है जहां साधक का स्वतःचालित क्रिया पर नियन्त्रण हो जाता है।
साधक में धैर्य की जरूरत है। वह सीधा स्वतःचालित क्रिया पर नियन्त्रण करने की बात न सोचे।
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-Narak MEANTamanan
२८ अप्रैल २०००
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