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आकर्षण : ध्येय के प्रति एक साधक ध्यान करने बैठता है। एक विषय पर एकाग्र होना चाहता है पर हो नहीं पाता। कुछ साधक इस स्थिति में परेशानी का अनुभव करते हैं। वे ध्यान करना छोड़ देते हैं। इस समस्या का क्या कोई समाधान है? यदि नहीं है तो ध्यान का विकास संभव नहीं होगा।
इस समस्या का समाधान खोजें तो आकर्षण के विषय पर ध्यान केन्द्रित करना होगा कि ध्येय के प्रति उतना आकर्षण नहीं है जितना पदार्थ के प्रति अथवा इन्द्रिय-विषयों के प्रति है। हर साधक को इस सचाई का अनुभव करना चाहिए। इस समस्या का समाधान है-ध्येय के प्रति गहरा आकर्षण।
१३ सितम्बर
२०००
(भीतर की ओर)
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