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साधना के आलम्बन साधना में अनेक आलम्बनों का प्रयोग किया जाता है। एक सौंठ के गांठिए से कोई पंसारी नहीं होता, वैसे ही एक आलम्बन से कोई साधक नहीं बनता। इसका हेतु स्पष्ट है—कर्म के संस्कार नाना प्रकार के होते हैं। उनको क्षीण करने के उपाय भी नाना प्रकार के होने चाहिए। इसीलिए योग के आचार्यों ने अष्टांग योग, षडंग योग, द्वादशविध तप आदि अनेक आलम्बन बतलाए हैं।
११ सितम्बर
२०००
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(भीतर की भोर)
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