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परिष्कार भीतर का प्रकम्पनों के बीच अप्रकम्प की खोज ध्यान का प्रमुख उद्देश्य है। कर्म शरीर में निरन्तर प्रकम्पन हो रहे हैं। वे तरंग के रूप में बाहर आते हैं और मनुष्य की प्रवृत्तियों को प्रभावित करते हैं।
यदि कोई व्यक्ति बाहर को शुद्ध करना चाहता है तो उसे भीतरी प्रकम्पनों को समझना होगा। भीतरी प्रकम्पनों का परिष्कार किए बिना बाध्य प्रवृत्ति का परिष्कार नहीं किया जा सकता।
०६ सितम्बर
२०००
(भीतर की ओर)
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