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प्रमाद और अप्रमाद
चेतना की अभिव्यक्ति का मुख्य स्तर है मस्तिष्क । बाह्य और आन्तरिक स्थिति से प्रभावित मस्तिष्क सदा एक जैसा कार्य नहीं करता। उसकी कार्यप्रणाली बदलती रहती है। उस परिवर्तन के आधार पर चेतना की अभिव्यक्ति की अनेक अवस्थाएं हो जाती हैं।
१. चेतना की अभिव्यक्ति की पहली अवस्था है सुप्तावस्था मादक वस्तुओं के सेवन से चेतना की यह अवस्था बनती है ।
२. चेतना की अभिव्यक्ति की दूसरी अवस्था है जागृत अवस्था । अप्रमाद की साधना करने वाला जागृति का अनुभव करता है।
२६ अगस्त
२०००
भीतर की ओर
२५.८
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