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Gr.wamane waamarpawon
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कैसे होता है भाग्य का परिवर्तन ?
जो स्थूल जगत में व्यक्त होता है वह पहले सूक्ष्म जगत में सृष्ट होता है। सूक्ष्म जगत में वही सृष्ट होता है जो चिन्तन और आचरण से फलित होता है।
भाग्य-परिवर्तन के लिए मानसिक चिन का निर्माण बहुत आवश्यक है। तुम जो बनना चाहो, उसकी कल्पना करो। वैसे मानसिक चिन का निर्माण करो, उस पर एकाग्र बनो।
कल्पना, चिन-निर्माण और एकाग्रताभाग्य परिवर्तन के बहुत बड़े साधन हैं।
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२७ अगस्त
२०००
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