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ब्रह्मचर्य - [2]
शरीर में ध्यान के अनेक केन्द्र हैं । उनमें पैर के अंगूठे का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्राणधारा के पांच प्रवाह हैं। वे पांचों अंगुलियों में प्रवाहित होते हैं। अंगुष्ठ अंगुलियों में प्रधान है।
एकाग्रता के लिए इस पर ध्यान करना बहुत लाभदायक है। लेटकर अंगुष्ठ पर ध्यान करना अथवा उसे देखना ब्रह्मचर्य की साधना में सहायक बनता है। एक्युप्रेशर की चिकित्सा में भी इसका बहुत महत्त्व है ।
०८ अगस्त
२०००
भीतर की ओर
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