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awanmany
Mr.Reemantra
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इन्द्रिय-विजय-(a) 'इन्द्रियाणां मनो नाथः'-मन इन्द्रियों का नाथ है। मन इन्द्रियों द्वारा प्राप्त सामग्री का ज्ञान करता है और उसकी चंचलता बढ़ती है। मन की चंचलता को कम करने के लिए इन्द्रियों का संयम करना जरूरी है।
इन्द्रिय-संयम करने की एक विधि है। जैन योग में उसे प्रतिसलीनता और महर्षि पतञ्जलि के योग में उसे प्रत्याहार करते हैं। आंख को मूंद लेने पर बाहर का विषय दिखाई नहीं पड़ता। यह चक्षु की प्रतिसलीनता है। शेष इन्द्रियों के पास आंख जैसी व्यवस्था नहीं है। उनमें खोलने और बंद करने की शक्ति नहीं है।
OMRANTwakolaun
१४ अगस्त २०००
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__भीतन की ओर)
भीतर की ओर
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