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एकाग्रता के क्तव एकाग्रता के विकास के साथ गंध और रस का भी अनुभव किया जाता है।
चंचलता में रंग, गंध और स्पर्श को हमारी व्यक्त चेतना पकड़ नहीं पाती। एकाग्रता की अवस्था में उनका ग्रहण हो जाता है।
एकाग्रता के अनेक स्तर हैं। पृथक्-पृथक स्तरों पर पृथक्-पृथक् प्रकार के अनुभव होते हैं। क्षिप्रग्रहण, चिरग्रहण आदि विकल्प इन पर ही निर्भर करते हैं।
२५ जून २०००
(भीतर की ओर
१६.३
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