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सघन एकाग्रता एकाग्रता को सघन करने के लिए सूक्ष्म आलम्बन आवश्यक है। प्रथम अवस्था में श्वास के साथ अर्ह का जप किया जाता है। उत्तर अवस्था में शब्द छूट जाता है। केवल श्वास की ध्वनि को सुनने का अभ्यास किया जाता है। श्वास लेने और छोड़ने के क्षण में भी ध्वनि होती है। उस ध्वनि को सुनने का अभ्यास एकाग्रता को सघन बनाता है। शब्दातीत चेतना के क्षण में सूक्ष्म सत्य को पकड़ने की शक्ति पैदा होती है इसलिए अभ्यास की उत्तर भूमिका में सूक्ष्म आलम्बन का प्रयोग जरूरी है।
२४ जून २०००
भीतर की ओर
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