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एकाग्रता - [२]
निर्विचार अवस्था अतीन्द्रिय चेतना के जागरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण प्रयोग है । कोई भी साधक प्रथम चरण में निर्विचार नहीं होता। जैसेजैसे एकाग्रता सघन होती है, निर्विचार अवस्था आ जाती है। इस अवस्था में मस्तिष्क में अल्फा तरंगें प्रभावित होती हैं और व्यक्ति अपूर्व आनन्द का अनुभव करता है। एकाग्रता व निर्विचारता की स्थिति में जो आभामण्डल बनता है वह बहुत ही उन्नत और चमकीला होता है ।
२२ जून २०००
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भीतर की ओर
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