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हठ
चित्तवृत्ति-(a) सप्ताह में सात दिन होते हैं। सभी दिनों में चित्तवृत्ति समान नहीं रहती। एक दिन के चौबीस घण्टों में भी उसमें भिन्नता पाई जाती है। इसका हेतु आन्तरिक और बाहरी वातावरण है। स्वरोदय और जैविक घड़ी के आधार पर इसे समझा जा सकता है।
उपाध्याय मेघविजयजी ने चित्तवृत्ति के साथ ऋतुचक्र का वर्णन किया है। चित्तवृत्ति
झतु अहंकार उत्कर्ष की चित्तवृत्ति वसन्त क्रोध-तृष्णा
ग्रीष्म प्रसन्नता
वर्षा पविनता
शरद प्रदीप्त जठराग्नि
हेमन्त लज्जा, पीड़ा
शिशिर
३० जुलाई २०००
भीतर की ओर
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