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चित्त-(३) चित्त चेतन है और मन पौदगलिक है। इस सिद्धान्त को सापेक्ष दृष्टि से समझना आवश्यक है। चिन्तन में सहायक बनने वाले मनोद्रव्य (मनोवर्गणा के परमाणु स्कन्ध) से उपरंजित होकर ही चित्त मनन करता है। इस अवस्था में चित्त का नाम मन हो जाता है।
भावधारा में सहायक परमाणु स्वन्ध (द्रव्यलेश्या) से उपरंजित चित्त भाव कहलाता है।
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२८ जुलाई २०००
(भीतर की ओर)
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