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फ्र 40-300ठ
जल तत्त्व
जल तत्त्व का स्थान है स्वास्थ्यकेन्द्र ( स्वाधिष्ठान चक्र ) । कान, सिर के बाल और हड्डियों में जलीय परमाणुओं की विद्यमानता है। अनामिका अंगुली को अंगूठे से दबाने पर शरीर में जलतत्त्व का संतुलन होता है।
आसू, कफ, थूक, रक्त, प्रस्वेद, श्लेष्म आदि पर इस तत्त्व का नियन्त्रण है। इसकी अधिकता से गैस, हृदय पर असर, मुख फीका, हकलाना, चमड़ी में कम्पन आदि रोग होते हैं। इस तत्त्व पर नियन्त्रण होने से भूख-प्यास शान्त होती है और मैत्री का विपाक होता है।
२१ मार्च से २० जून तक शरीर में जल तत्त्व की प्रधानता रहती है ।
०१ जुलाई
२०००
भीतर की ओर
१६.६.
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