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एकाग्रता के दो सप एक बगुला मछली को पकड़ने के लिए एकाग्र हो जाता है। क्या यह ध्यान है?
अवश्य! तो बगुला भी अन्तर्मुख हो जाता है ?
नहीं! उसका ध्यान बहिर्मुखी है, आसक्ति से जुड़ा हुआ है। इसीलिए भगवान महावीर ने ध्यान को दो श्रेणियों में विभक्त कर दिया—आर्तध्यान और धर्म्यध्यान।
२८ जून २०००
भीतर की ओर
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