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मंत्रोच्चारण की विधि- [२]
३. मंत्र का उच्चारण स्वाभाविक श्वास के साथ करना चाहिए। श्वास यदि शीघ्र गति से चलता है तो मंत्र का सम्यक् अनुभव नहीं होता । श्वास यदि एकदम धीमी गति से चलता है तो मंत्र का उच्चारण बीच में ही रुक जाता है। इसलिए मध्यवाही श्वास के साथ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए ।
यदि मंत्र बहुत लम्बे हों तो उनका विभाग कर मध्यमवाही श्वास के साथ उच्चारण करना चाहिए।
११ जून
२०००
भीतर की ओर
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