________________
Pune
-mmomas-/
-
du
-
-
-
-
-
-
-w
e
Artv
N Drammamera
DIANAMEANILIP
अर्थ के साथ तादात्म्य शब्द और अर्थमन-साधना में इन दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। उसके लिए पहली शर्त है शब्द का विधिपूर्वक उच्चारण हस्व, दीर्घ, प्लुत का यथोचित उच्चारण।
अर्थ का महत्त्व उच्चारण से भी अधिक है। शब्द वाचक है। उसका वाच्य जितना स्पष्ट होता है और उसके साथ जितना तादात्म्य स्थापित होता है, उतनी ही मंत्र की सिद्धि प्राप्त होती है। इसलिए जप करने वाले को वाच्य अर्थ का स्पष्ट बोध होना चाहिए। उसके साथ एकात्मकता स्थापित कर उसका प्रयोग करना चाहिए।
१६ जून २०००
__(भीतर की ओर
(भीतर की ओर)
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org