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मंत्र की सिद्धि मंत्र का जप करते समय इष्ट की सन्निधि का अनुभव करें। केवल शब्दोच्चारण से मंन की सिद्धि नहीं होती। शब्दोच्चारण के साथ-साथ इष्ट की सन्निधि का अनुभव होता है तब मंत्र प्राणवान बन जाता है।
जप के समय तैजस केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करें और अनुभव करें, वह प्रकाश से भर गया।
तैजस केन्द्र से प्रकाश की धारा को ऊपर उठाएं, उसे ज्ञानकेन्द्र तक ले जाएं। वहां उस मंत्र का अनुभव करें। साधना की सफलता मिल जाएगी।
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०६ जून २०००
===भीतर की ओर)==
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