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मन्थियों के साव का संतुलन आसन, रंग ध्यान, प्रेक्षा और स्वतः सूचना इनके द्वारा ग्रन्थि-स्राव को संतुलित किया जाता है।
इड़ा, पिंगला नाड़ियों में प्राण प्रवाह संतुलित कर अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के साव और मस्तिष्क के रासायनिक साव नियन्त्रित किए जा सकते हैं।
शशांकासन का आधा घंटा या एक घंटा तक अभ्यास करने से एड्रीनल ग्रन्थि पर नियन्त्रण होता है।
सुप्तवज्रासन से स्वास्थ्य केन्द्र और भुजंगासन से तैजस केन्द्र पर नियन्त्रण होता है।
सर्वानासन से विशुद्धि केन्द्र जागृत होता है।
२४ अप्रैल २०००
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