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चैतन्यकेन्द्र : अवस्थिति शरीर में अनेक चैतन्यकेन्द्र हैं। एडी से लेकर चोटी तक उनका जाल बिछा हुआ है। उनमें कुछ विशिष्ट और कुछ साधारण हैं। शक्तिकेन्द्र से ऊपर के सारे चैतन्यकेन्द्र शुभ हैं। शक्तिकेन्द्र से नीचे एड़ी तक होने वाले चैतन्यकेन्द्र अशुभ हैं। उनका संबंध मौलिक मनोवृत्तियों से है।
शक्तिकेन्द्र मध्यवर्ती है। वह मनुष्य के विकास का पहला सोपान है और पशु के विकास का अन्तिम सोपान।
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२८ मार्च २०००
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