________________
अप्रमाद केन्द्र मनुष्य शरीर की रचना में कान का महत्वपूर्ण स्थान है। इनके द्वारा शब्दों का ग्रहण होता है। बाह्य जगत से हमारा सम्पर्क स्थापित होता है। यह प्रत्यक्ष है। यह मर्मस्थान है, यह इसका परोक्ष स्वरूप है।
कान पर ध्यान के प्रयोग कराए गए। उनसे शराब आदि मादक वस्तुओं के सेवन की आदतें बदल गई। इस प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर कान के मर्मस्थान का नाम अप्रमाद केन्द्र रखा गया।
१२ अप्रैल २०००
(भीतर की ओर)
Answomaneumanmaamana
११६
Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org