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विषयमार्गदर्शिका विषय
विषय
पृष्ठ भाषा के दो भेद हैं - निश्चयनय
८३ विहितत्वेन आराधकत्व को मानने में भाषानिमित्त संकल्प में ही आराधकत्व या
असंभव दोष .........
.........९९ विराधकत्व है - निश्चयनय
.... ८४ अन्योन्याश्रयत्रैविध्यद्योतनम् भाषा में ही आराधकत्वादि मानना
आराधकत्वस्वरूपगोचरः विचारविशेषः ...............९९ युक्त है - व्यवहारनय
सम्यगुपयोगपूर्वकत्व आराधकत्व नहीं है ..............१०० भाषायाः कर्मबन्धादिकं प्रत्यन्यथासिद्धत्वम् .......... प्रातिस्विकरूप से आराधकत्व सत्यभाषा विप्रतिपत्तिप्रदर्शनम् ........
का लक्षण नहा ह .......................................१०१ संकल्प में ही आराधकत्व या विराधकत्व
सत्यभाषा के दश भेद-व्यवहारनय.......................१०१ ___ मानना युक्त है - निश्चयनय
जनपदसत्यभाषा-१ .....
...........१०२ निश्चयनय से भाषा के दो भेद का समर्थन ........... वर्धमानोपाध्यायमतनिरास: .........................१०३ अपेक्षा से सर्वभाषा सत्य है - निश्चयनय ............... अपभ्रंश में शक्ति नहीं है - नैयायिक .................... समकालीनकार्यकारणभावोपपादनम्
न्यायमञ्जरी-व्युत्पत्तिवादकारमतनिकन्दनम् ......... १०४ शुद्धनिश्चयनयरहस्यप्रदर्शनपूर्व विरोधपरिहारः ...... ८८ ईश्वरेच्छास्वरूप शक्ति असिद्ध - स्याद्वादि ..... आयुक्तपरिणाम का अर्थ ....
शक्ति संकेतस्वरूप है ...........
...... दशवैकालिकवचनविरोधपरिहारप्रतिपादनम् ....... वर्धमान-नृसिंह-दिनकराभिप्रायसमालोचनम् ......... दो न भासिज्ज सव्वसो का विरोध
शास्त्र की अपभ्रंश-अर्धमागधी भाषा सत्य नहीं है - निश्चयनय ........
ही है- स्याद्वादी........... ..................१०५ दो न भासिज्ज-सूत्र में अन्य विद्वानों का अभिप्राय .....९० वृषभदेववचननिरास: ....
......... १०६ अन्यमताऽस्वरसप्रदर्शनम् ...९० सम्मतसत्यभाषा-२ ....... .............
.......१०७ अनायुक्त परिणाम से बोलनेवाला
सम्मतसत्यभाषालक्षण विराधक-प्रज्ञापनासूत्र... ...................................९०
९० अतिव्याप्तिदोषग्रस्त-पूर्वपक्ष .... व्यवहारनय का विषय भी वास्तविक है ...................९१ शशधरशर्ममतालोचनम् ......
१०७ चतुर्विधत्वादितुच्छत्वनिरासकप्रयोगप्रदर्शनम् ............. संकेतमात्र शक्ति न होने से सम्मत स्त्रीत्वादि अर्थनिष्ठ है - शाकटायनाचार्य ................९३ सत्यभाषालक्षण निर्दोष-उत्तरपक्ष ............ स्त्रीत्वादि अर्थनिष्ठ है - प्रज्ञापनासूत्र.....................९३ शक्तिस्वरूपविचारस......... ............१०८ व्यवहार के बल से भाषा में चतुर्विधत्व की सिद्धि ......९४ स्थापनासत्य भाषा - ३............. भाषा में द्विविधत्व और चतुर्विधत्व दोनों वास्तविक .....९५ प्रकरणादि के बल से अर्थनियमन ........ प्रज्ञापनासूत्रनिष्कर्षोन्नयनम् ..
स्थापनासत्यत्वप्रतिपादकसूत्राणां नयविशेष का आश्रयण गौण-मुख्यभाव की
त्रैविध्यप्रदर्शनम् ......... सिद्धि के लिये.... .................९५ स्थापनासत्यभाषा का लक्षण ..........................
.......१११ सत्यभाषा का लक्षण ...........
९७ कुमारिलभट्ट-भर्तृहरिमतनिराकरणम् .............. प्रामाण्यनिर्वचनम्
.९७ प्रतिमा में अरिहंतपदप्रयोग नितांत सत्य ................१११ एवकारप्रयोग के बिना भी अवधारण प्राप्य है ........... ९८ सूत्रापलाप से आशातका और अनन्तसंसार ............११२ अवधारण बाधित होने से एकान्तवादी का
सद्भूतस्थापना में भी शक्ति है - वचन असत्य.........
...............९९ नैयायिक की साख ...... पारिभाषिकआराधकत्व - सत्यभाषा का द्वितीयलक्षण...९९ लाघवतर्क से गोत्वविशिष्ट में शक्ति-नव्यनैयायिक ....११३
(xix)
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९५
सद
११०
.९३ स्यामा
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