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बारहवाँ प्रकरण।
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मूलम् । कायकृत्यासहः पूर्व ततो वाग्विस्तरासहः । अथ चिन्तासहस्तस्मादेवमेवाहमास्थितः ॥१॥
पदच्छेदः। कायकृत्यासहः, पूर्वम्, ततः, वाग्विस्तरासहः, अथ, चिन्तासहः, तस्मात्, एवम् आस्थितः ॥ अन्वयः। शब्दार्थ । | अन्वयः।
शब्दार्थ। पूर्वम्=पहले
अथ उसके पीछे शारीरिक कर्म
(चिन्ता के व्या
पार को न कायकृत्यासहः-२ वाला हुआ अर्थात्
सहारनेवाला कायिक कर्म का चन्तासहः-२ हुआ अर्थात् ( त्यागनेवाला हुआ
मानसिक कर्म ततः उसके पीछे
का त्याग करने(वाणी के जप्य
(वाला हुआ रूप कर्म का न |
तस्मात् एवम् इसी कारण सहारनेवाला अहम् एव-मैं ही वाग्विस्तरासहः-२ हआ अर्थात् । आस्थितः स्थित हूँ
वाचिक कर्म का त्यागनेवाला
का न
हुआ