Book Title: Astavakra Gita
Author(s): Raibahaddur Babu Jalimsinh
Publisher: Tejkumar Press

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Page 391
________________ बीसवाँ प्रकरण। अन्वयः। निरज्जने निरञ्जन मूलम् । क्व भूतानि क्व देहो वा क्वेन्द्रियाणि क्व वा मनः । क्व शन्यं क्व च नैराश्यं मत्स्वरूपे निरञ्जने ॥१॥ पदच्छेदः । क्व, भूतानि, क्व, देहः, वा, क्व, इन्द्रियाणि, क्व, वा, मनः, क्व, शून्यम्, क्व, च, नैराश्यम्, मत्स्वरूपे, निरञ्जने। शब्दार्थ । | अन्वयः। शब्दार्थ। इन्द्रियाणि-इन्द्रियाँ हैं ? मत्स्वरूपे-मेरे स्वरूप में वा=अथवा क्व कहाँ क्व-कहाँ मनः मन है ? भूतानि आकाशादि भूत है ? क्व कहाँ क्व कहाँ शून्यम्=शून्य है ? देहः=देह है ? क्व कहाँ वा=अथवा आकाश का क्व कहाँ भावार्थ । अब बीसवें प्रकरण का आरंभ करते हैं विद्वानों की स्वभाव-भूत जो जीवन्मुक्ति दशा है, उसको अब चौदह श्लोकों करके इस प्रकरण में निरूपण करते हैं नैराश्यम्= 1 अभाव है ? ॥

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