Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : ६
कम्मोवरि धुवेयर सुन्ना पत्तेय सुन्न बादरगा।
सुन्ना सुहुमे सुन्ना महक्खंधो सगुणनामाओ ॥१६॥ शब्दार्थ-कम्मोवरिं–कार्मण वर्गणा के पश्चात्, धुवेयर सुन्नाध्र वाचित्त, अध्र वाचित्त, शून्य, पत्तेय-प्रत्येक शरीर, सुन्न–शून्य, बादरगाबादर निगोद, सुन्ना-शून्य, सुहुमे—सूक्ष्म निगोद, सुन्ना-शून्य, महक्खंधोमहास्कन्ध, सगुणनामाओ—सार्थक नामावली ।
गाथार्थ-कार्मण वर्गणा के पश्चात् यथाक्रम से ध्र वाचित्त, अध्र वाचित, शून्य, प्रत्येकशरीर, शून्य, बादरनिगोद, शून्य, मूक्ष्मनिगोद, शून्य और महास्कन्ध नामक वर्गणायें हैं । ये सभी वर्गणायें अपने-अपने सार्थक नाम वाली हैं।
विशेषार्थ—पुद्गल द्रव्य संपूर्ण लोक में है, तो उसकी मात्र पूर्व में बताई गई नाम वाली वर्गणायें है, या और भी हैं ? तो इस जिज्ञासा का समाधान करने के लिये ग्रंथकार आचार्य कहते हैं-- ___'कम्मोवरि' अर्थात् पूर्व में बताई गई कर्मप्रायोग्य उत्कृष्ट वर्गणा के पश्चात भी अन्य वर्गणायें हैं। जिनके नाम और क्रम इस प्रकार है
१. ध्र वाचित्त द्रव्य वर्गणा, २. अध्र वाचित्त द्रव्यवर्गणा, ३. शून्य वर्गणा, ४. प्रत्येकशरीरी वर्गणा, ५. ध्रुव शून्य वर्गणा ६. बादरनिगोद वर्गणा, ७. ध्र व शून्य वर्गणा ८. सूक्ष्म निगोद वर्गणा ६. शून्य वर्गणा. १०. महास्कन्ध वर्गणा। ___ ध्रुवाचित्त द्रव्य वर्गणा-कर्मप्रायोग्य उत्कृष्ट वर्गणा से एक परमाणु अधिक वाली वर्गणा का नाम ध्र वाचित्त वर्गणा है। जो अपनी अन्य वर्गणाओं में जघन्य वर्गणा है । जिस वर्गणा में दो परमाणु अधिक हैं, वह दूसरी ध्र वाचित्त वर्गणा, इस प्रकार एक-एक परमाणु अधिक-अधिक करते हुए उत्कृष्ट ध्र वाचित्त वर्गणा पर्यन्त कहना चाहिये । ध्र वाचित्त जघन्य वर्गणा में जितने परमाणु हैं उनको