Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 393
________________ ३४६ पंचसंग्रह : ६ म्थान का उत्कृष्ट अनुभाग परस्पर आक्रान्त रूप में तब तक कहना यावत् उत्कृष्ट स्थिति का जघन्य अनुभाग अनन्तगुण आता है । जिसे प्रारूप में ६३-७३, ६४-७४, ६५-७५ आदि लेते हुए ६०-८१ अंक पर्यन्त कहना । यह ६० के उत्कृष्ट स्थितिस्थान का जघन्य अनुभाग हुआ । १५ अब जो उत्कृष्ट स्थिति के उत्कृष्ट अनुभाग की कण्डक मात्र स्थितियां अनुक्त हैं, उसे क्रमशः अनन्तगुण कहना । जिसे प्रारूप में ८१ से ९० के अंक पर्यन्त बताया है । 00

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