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योग विचारणा के प्रमुख अधिकारों" : परिशिष्ट ४
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जघन्य
क्रम
जीव भेद योग प्रकार प्रमाण पर्याप्त त्रीन्द्रिय
असंख्यगुण उससे चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पंचेन्द्रिय संज्ञी पंचेन्द्रिय द्वीन्द्रिय उत्कृष्टयोग त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पंचेन्द्रिय अनुत्तर देव ग्रेवेयक देव भोगभूमिज ति. म. आहारक शरीरधारी " शेष देव, नारक, "
ति० मनु० पूर्वोत्तर की अपेक्षा सर्वत्र असंख्येयगुणाकार सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम के असंख्येय भागगत प्रदेश राशि प्रमाण समझना चाहिये ।