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परिशिष्ट : १०
षट्स्थानक में अधस्तनस्थान-प्ररूपणा का
स्पष्टीकरण
षट्स्थान प्ररूपणा का स्पष्टीकरण पूर्व में किया जा चुका है। षट्स्थानों में वृद्धि की आद्य इकाई अनन्तभाग वृद्धिस्थान है और अधस्तनस्थान प्ररूपणा में सर्वोच्च वृद्धि का स्थान अनन्तगुण वृद्धि का स्थान है। उससे नीचे-नीचे के स्थान में अधस्तनस्थान प्ररूपणा की जाती है । इसीलिये उसे अधस्तनस्थान प्ररूपणा कहते हैं । अर्थात् विवक्षित वृद्धि की अपेक्षा नीचे की वृद्धि की विवक्षा करना, अधस्तनस्थान प्ररूपणा है। जिसका स्थापना पूर्वक स्पष्टीकरण इस प्रकार है
१ अनन्तगुण वृद्धि, २ असंख्यातगुण वृद्धि, ३ संख्यातगुण वृद्धि ४ संख्यातभाग वृद्धि, ५ असंख्यातभाग वृद्धि, ६ अनन्तभाग वृद्धि ।
यह प्ररूपणा पाँच प्रकार की है
१ अनन्तर मार्गणा, २ एकान्तरित मार्गणा, ३ यन्तरित मार्गणा, ४ त्र्यन्तरित मार्गणा, ५ चतुरन्तरित मार्गणा । अनन्तर मार्गणा
बीच में अन्य कोई भी वृद्धि न रखकर विवक्षित से नीचे की वृद्धि की प्ररूपणा करना । यथा-प्रथम असंख्यातभाग वृद्धि की अपेक्षा अनन्त भाग वृद्धि के स्थान की प्ररूपणा । प्रथम संख्यातभाग वृद्धि की अपेक्षा असंख्यातभाग वृद्धि के स्थान का विचार । उसी प्रकार प्रथम अनन्तगुण वृद्धि की अपेक्षा असंख्यातगुण वृद्धि के स्थान की विचारणा। इस मार्गणा में पांच स्थान हैं।