Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 380
________________ परिशिष्ट २३ वसचतुष्क की तीव्रता-मन्दता (त्रस, बादर, पर्याप्त और प्रत्येक) ये चारों प्रकृतियां परावर्तमान शुभ प्रकृतियां हैं। अतः इनकी तीव्रतामदता का विचार उत्कृष्ट स्थिति से प्रारम्भ करके जघन्य स्थिति पर्यन्त किया जायेगा। इनकी तीव्रता-मंदता दर्शक प्रारूप इस प्रकार है६० का ज. अनुभाग अल्प उससे अनन्तगुण निवर्तन-कंडक ६० का उत्कृष्ट अनुभाग अनन्तगुण उससे 1 w 1 US -८७ w 1 1 x अठारह→ -८४ --८३

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