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त्रसचतुष्क की तीव्रता-मन्दता : परिशिष्ट २३
इस प्रकार एक स्थिति का जघन्य अनुभाग और एक स्थिति का उत्कृष्ट अनुभाग तब तक कहना चाहिये यावत् जघन्य स्थिति आती है । जिसे प्रारूप में २८-३८, २७-३७, २६-३६, २५-३५ आदि के क्रम को लेते हुए जघन्य स्थिति को २१ के अंक से बताया है ।
१६. जो उत्कृष्ट स्थिति में कण्डक प्रमाण अनुभाग अनुक्त है, उसे प्रारूप में २० से ११ के अंक तक जानना । वह उत्तरोत्तर अनन्तगुण अनन्तगुण है।