Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 368
________________ परिशिष्ट २१ परावर्तमान १६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता (सातावेदनीय, मनुष्यगतिद्विक, देवगतिद्विक, पंचेन्द्रियजाति, समचतुरस्रसंस्थान, वज्रऋषभनाराचसंहनन, शुभविहायोगति, स्थिरषट्क और उच्च गोत्र)। उक्त प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता दर्शक प्रारूप इस प्रकार है1 ६० का जघन्य अनु. स्तोक उससे -- सागरोपम शतपृथक्त्व→

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