Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

Previous | Next

Page 366
________________ अपरावर्तमान ४६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता - मंदता (पराधात, उद्योत, आतप, शुभवर्णादि ११, अगुरुलघु, निर्माण, तीर्थंकर, उच्छ्वास, बन्धननाम १५, शरीरनाम ५ संघातनाम ५, अंगोपांगनाम ३ =४६) उक्त प्रकृतियों की तीव्रता - मन्दता का दर्शक प्रारूप इस प्रकार है निवर्तन कंडक अभव्यप्रायोग्य स्थिति २० का जघन्य अनु . अल्प उससे १६ अनन्तगुण १८ १७ १६ १५ १४ १३ १२ ११ १० 59wxx mar "1 22 "" "1 " " 37 " 17 " 17 "1 "" " "" "" " "1 "" "" " - २० का उत्कृष्ट अनु. अनन्तगुण उससे - १६ - १८ - १७ -१६ - १५ -१४ -१३ - १२ ११ १० 9wxxmr ४ २ 11 ,, "" "" " 17 # "" 17 परिशिष्ट २० 11 11 19 :::: 17 " " " " 19 32 9.1

Loading...

Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394