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( असातावेदनीय, नरकगतिद्विक, पंचेन्द्रियजाति हीन जातिचतुष्क, आदि के संस्थान और संहनन रहित शेष पाँच संस्थान और संहनन, अशुभ विहायोगति, स्थावरदशक = २८)
सागरोपम शतपृथक्त्व प्रमाण स्थितियाँ -
परावर्तमान अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता - मंदता का विचार अनुकृष्टि की तरह जघन्य स्थिति से प्रारम्भ कर उत्कृष्ट स्थिति पर्यन्त किया जाता है । परावर्तमान अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता - मन्दता दर्शक प्रारूप इस प्रकार है—
परावर्तमान २८ अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता - मंदता
२१ का जघन्य अनु . अल्प उससे
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२६
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२८
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परिशिष्ट २२
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