Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पंचसंग्रह : ६
एकान्तरित मार्गणा
विवक्षित वृद्धि से नीचे बीच में एक वृद्धि को छोड़कर प्ररूपणा करना । यथा-प्रथम संख्यातभाग वृद्धि के स्थान की अपेक्षा अनन्तभाग वुद्धि के स्थान की विचारणा । इस विचारणा के चार स्थान हैं। द्व यन्तरित मार्गणा
विवक्षित वृद्धि से नीचे बीच में दो वृद्धि को छोड़कर प्ररूपणा करना । यथा-प्रथम संख्यातगुण वृद्धि के स्थान की अपेक्षा अनन्तभाग वृद्धि के स्थान की प्ररूपणा । इस मार्गणा में तीन स्थान हैं । त्र्यन्तरित मार्गणा
विवक्षित वृद्धि से नीचे बीच में तीन वृद्धि को छोड़कर प्ररूपणा करना । यथा-प्रथम असंख्यातगुण वृद्धि के स्थान की अपेक्षा अनन्तभाग वृद्धि के स्थान की प्ररूपणा । इस मार्गणा में दो स्थान हैं । चतुरन्तरित मार्गणा ___ विवक्षित वृद्धि से नीचे बीच में चार वृद्धि को छोड़कर प्ररूपणा करना । यथा-प्रथम अनन्तगुण वृद्धि के स्थान की अपेक्षा अनन्तभाग वृद्धि के स्थान की प्ररूपणा । इस मार्गणा में एक स्थान है।
उक्त मार्गणाओं में स्थानों का प्रमाण इस प्रकार जानना चाहियेअनन्तर मार्गणा में
कंडक प्रमाण स्थान जानना चाहिये। क्योंकि अनन्तभाग वृद्धि के एक कंडक प्रमाण स्थान व्यतीत होने पर असंख्यातभाग वृद्धि का प्रथम स्थान प्राप्त होता है । असत्कल्पना से कंडक का प्रमाण ४ अंक है अतएव असंख्यात भाग वृद्धि के ५ के अंक के पूर्व अनन्तभाग वृद्धि के चार स्थान होने से कंडक प्रमाण ४ स्थान जानना चाहिए । एकान्तरित मार्गणा में
कंडकवर्ग और कंडक प्रमाण । (असत्कल्पना से कंडकवर्ग=४४४ = १६+४= २०)।