Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 360
________________ परिशिष्ट १७ त्रसचतुष्क को अनुकृष्टि का प्रारूप (त्रस, बादर, पर्याप्त और प्रत्येक=४) नटेक देश और ० ० ० ० ०००० ०००००००० ० ००० ०० तानि प्रत्यानि - १.०० ० ० ० ० ० ० .. ..०० ० ० ० ० ० ००० ० ०० ० ० ० ० ० ० ० ०० ८.०० ० ० ० ० ० ००० ०००००००००० ० ०० ००० ००० ० ००००००००० ००००००००० 1०००००००० १००.०००० ... ० ००० । अनुकारे समान अन्य लदेक देश और PPP ० ० ० ० ० ०००००० त्रसचतुष्क में तीन प्रकार की अनुकृष्टि होती है (अ) 'तदेकदेश और अन्य'-त्रसचतुष्क में उत्कृष्ट स्थिति २० कोडाकोडी सागरोपम से अधः अध: आते हुए १८ कोडाकोडी सागरोपम तक 'तदेकदेश और अन्य' इस प्रकार की अनुकृष्टि जानना। जिसे प्रारूप में ३० से २५ तक के अंकों द्वारा बताया है।

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