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पंचसंग्रह : ६
इस षट्स्थानक प्ररूपणा में वर्गादि का प्रमाण इस प्रकार समझना चाहिये
कंडकवर्ग ४४४ = १६ । कंडकवर्गद्वय =४X४=१६, पुनः ४४४=१६; इस प्रकार दो बार
कंडकघन ४४४४ ४=६४ ।
कंडकघनद्वय ४४४४४=६४, पुनः ४४४४४ = ६४, इस तरह दो बार ६४।
कंडकघनत्रय ४४४४४ = ६४, पुनः ४४४४४= ६४, पुनः ४४४४४ = ६४ ; इस प्रकार तीन बार ६४ । ___ कंडकाभ्यासद्वय ४ ४ ४४४४४४४=१०२४, पुनः ४४ ४ ४ ४४ ४४४=१०२४ ; इस प्रकार दो बार १०२४ । जो संख्या हो, उस संख्या को उसी संख्या से उतनी बार गुणा करने पर प्राप्त राशि को अभ्यास कहते हैं।
कंडकवर्गोन-कंडकवर्ग का जो अंक हो, उसे अन्तिम संख्या में से कम कर देना।
कंडक वर्ग-वर्ग-कंडक का वर्ग, उसका भी वर्ग, यथा ४४४ = १६ यह कंडकवर्ग हुआ, उसका पुनः वर्ग १६४१६=२५६ ।
उक्त गुणाकार से कल्पना द्वारा षट्स्थान की अंक संदृष्टि का प्रारूप स्वयमेव समझ लेना चाहिए।
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