Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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क्रम
पंचसंग्रह : ६ इन वृद्धि और हानि में से असंख्यगुण वृद्धि और असंख्यगुण हानि इन दोनों का उत्कृष्ट काल अन्तमुहूर्त है और शेष तीन वृद्धियों और हानियों का उत्कृष्ट काल आवलिका का असंख्यातवां भाग प्रमाण है। - यह स्पष्टीकरण वृद्धि प्ररूपणा की अपेक्षा जानना चाहिये । जीवाल्पबहुत्व प्ररूपणा ____ योगस्थानों में विद्यमान जीवों के जघन्य, उत्कृष्ट योग के अल्पबहुत्व का रूप इस प्रकार जानना चाहिये
जीव भेद योग प्रकार प्रमाण लब्धि अप. सूक्ष्म निगोद एके. जघन्ययोग सर्वस्तोक उससे २ , बादर एकेन्द्रिय , असंख्यगुण ,
द्वीन्द्रिय श्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय असंज्ञी पंचेन्द्रिय संज्ञी पंचेन्द्रिय सूक्ष्म (निगोद) एके. उत्कृष्ट योग
बादर एकेन्द्रिय , १० पर्याप्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय जघन्य योग ।
बादर एकेन्द्रिय ,
सूक्ष्म (निगोद) एके. उत्कृष्ट योग " बादर एकेन्द्रिय लब्धि अप. द्वीन्द्रिय
त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय
"
" " असंज्ञी पंचेन्द्रिय
संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्त - द्वीन्द्रिय जघन्ययोग
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