Book Title: Panchsangraha Part 06
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 298
________________ २५१ बंधनकरण-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट १ थोवा जहन्नबाहा उक्कोसाबाहठाणकंडाणि । उक्कोसिया अबाहा नाणापएसंतरा तत्तो ॥१०१।। एग पएसविवरं अबाहाकंडगस्स ठाणाणि । हीणठिइ ठिइट्ठाणा उक्कोसट्ठिइ तओ अहिया ॥१०२।। आउसु जहन्नबाहा जहन्नबंधो अबाहठाणाणि । उक्कोसबाह नाणंतराणि एगंतरं तत्तो ॥१०३।। ठिइबंधट्ठाणाइ उक्कोसठिई तओ वि अब्भहिया। सन्निसु अप्पाबहुयं दसटठभेयं इमं भणियं ॥१०४॥ ठिइठाणे ठिइठाणे अज्झवसाया असंखलोगसमा। कमसो विसेसअहिया सत्तण्हाउस्ससंखगुणा ॥१०॥ पल्लासंखसमाओ गंतूण ठिईओ होंति ते दुगुणा। सत्तण्हज्झवसाया गुणगारा ते असंखेज्जा ॥१०६॥ ठिइदीहाए कमसो असंखगुणणाए होंति पगईणं । अज्झवसाया आउगनामट्ठमदुविहमोहाणं ॥१०७।। सव्वजहन्नस्स रसादणंतगुणिओ य तस्स उक्कोसो। ठिइबंधे ठिइबंधे अज्झवसाओ जहाकमसो ॥१०८।। धुवपगई बंधता चउठाणाई सुभाण इयराणं । दो ठाणगाइ तिविहं सट्ठाणजहन्नगाईसु ॥१०॥ चउदुठाणाइ सुभासुभाण बंधे जहन्नधुवठिइसु । थोवा विसेसअहिया पुहत्तपरओ विसेसूणा ॥११०॥ पल्लासंखियमूला गंतु दुगुणा हवंति अद्धा य। नाणा गुणहाणीणं असंखगुणमेगगुणविवरं ॥१११॥ चउठाणाई जवमज्झ हिट्ठउवरि सुभाण ठिइबंधा। संखेज्जगुणा ठिइठाणगाई असुभाण मीसा य ॥११२॥

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